सोमवार, 14 अगस्त 2017

गाेरखपुर घटना पर एक मां का दर्द....

गोरखपुर के अस्पताल में 30 बच्चों की मौत
गलती किसकी जिम्मेदार कौन सब है मौन
मांओं की गोद सूनी निहारती हैं आसपास
मां कहकर पुकारे कर रही बेटे का इंतजार

रो-रो कर बुरा हाल है हर तरफ गूंजती करुण पुकार है
पिता भी भर रहा है सिसकिया सीने पे रखा पहाड़ है
सहानुभूति की थपकिया भी जख्मों को कूरेद रही है
बेटे को खोने का दर्द क्या है मां ही महसूस कर रही है

अब तो घर की दीवारों ने भी मां से मुहं मोड़ लिया है
वो बात नहीं करती पता जो उन्हें भी चल गया है
मां की अंगुली और घर की दीवार को भी अहसास है
बेटे को बिना अपना घर भी अब बेगाना हो गया है

जिम्मेदार क्या समझेंगे दर्द जिन्होंने कुछ खोया ही नहीं
लापरवाही दूसरों पर थोप बच निकलेगे जैसे कुछ किया ही नहीं
स्वतंत्रता दिवस पर तथाकथित विकास के दावे करते थकेंगे नहीं
अस्पताल में हुई बच्चों की मौत का जिक्र तक भी करेंगे नहीं

कहने को तो हम देश की आजादी के 70 साल मना रहे हैं
सिर्फ पूंजीपति ले रहे इसका फायदा गरीब तो पिस रहे हैं
लोकतंत्र के नाम पर आज हर तरफ खुलेआम लूटपाट है
ईमानदार हो रहा परेशान और बेईमान तो मालामाल है

गोरखपुर के अस्पताल से सरकार कभी सबक ले पाएगी
ऐसे घटना न हो इसका कानून संसद में पास कराएंगी
प्रधानमंत्री जी देश आवाम की जान बचाने से चलता है
लंबे-चौड़े भाषणों से किसी का पेट नहीं भरता है
विदेशी दौरों को कम कर जरा गांवों में दौरे किजिए
यहां भी अपने रहते हैं जरा दिल से दिल को जोड़िए