सोमवार, 29 सितंबर 2008

आतंकवाद...


जहां कही देखो नजर आता आतंकवाद है
सदियों से हम झेल रहे इस के शिकार है
हमने भी महाशक्ति के सामने प्रस्ताब था रखा
उसने न दिया ध्यान आतंकियों के हाथ में
हथियार को रखा
इक दिन अचानक यू धमाका हुआ
महाशक्ति राष्ट भी थर्रा गया
दो बहु मंजिला भवन मिटटी में मिला
नेस्तनाबूद हो गया
अब अपनी गलती का भी एहसास हो गया
अब तो आतंक का चारो ओर हो गया प्रभाव है
अब जहा कही देखो नजर आता आतंकवाद है.....
आतंक की पराकाष्ठा स्वयं के लिए दुःख दाई हो गई
कल की छोटी सी भूल आज अभिशाप हो गई।
इस दर्द से करह रहा है आज हर देश
क्योंकि बारूद के ढेर पर है बैठा हर देश
फटाको की तरह फूटते बम ओर बारूद हैं
दिवाली भी अब सुरक्षा के साये में
तिरंगा अब भी सुरक्षा की करता गुहार है।
अब जहा कही देखो नजर आता आतंकवाद है.....

अब राजनीति में आतंक भी मुद्दा बन रहा

कल तक था राम मन्दिर और परमाणु करार भी

आज कोई सुरक्षित नही है राजनीति की छांव में

सभी करते है राजनीति अपने बचाव में

नही किसी को मतलब अपने आवाम से

आतंकियों को पनाह मिल रही है कारागार में

सुरक्षा में मुस्तैद खड़े है सैनिक इनके बचाव में

कोर्ट में चल रही है पैरवी

किसी फैसले के इंतजार में

आतंकी कहर बरपाते जा रहे है

अपने अभियान में

धमाकों के नाम पर मरती आवाम हैं

नेता सुरक्षित और जनता बेहाल है

अब तो मर मर कर जी रहे हैं

क्योंकि हर जगह नज़र आता

आतंकवाद है.........

रविवार, 28 सितंबर 2008

तेरे संग मेरा भी नाम हो...

कूची जो कभी रंग बिरंगे रंगों में सनी
कल्पना की उडानो के तरंगो में बनी
कलाकार और चित्रकार के हांथों से लिपटी
जैसे कह रही हो तुम मुझे नया रूप दो
दो मुझे साकार रूप
कई इस कला के कद्रदान हो,
जुड़े तेरा नाम मेरे नाम के साथ
तेरे संग मेरा भी नाम हो

गुरुवार, 25 सितंबर 2008

शब्दों की माला ...

मन मै तरंगे उठती है
कुछ कह नही पाता
कहाँ क्या लिखू
कुछ नज़र नही आता
फ़िर भी लिख रहा हूँ
शब्दमाला में गुथ रहा हूँ
आज कर रहा हूँ
शब्दों को समार्पित
प्रतिसाद मिलेगा
इस भाव से मै
कर रहा हूँ अर्पित
इसलिए मै बहुत कुछ लिख रहा हूँ
शब्दों की माला को मै गुथ रहा हूँ



न बवंडर खड़े होते ....

इक तुफा क्या आया
कई बवंडर खड़े हो गए
तुम उसी बवंडर में मुझे
छोड़ बेगाने हो गए
दोस्ती करने से पहले
अच्छी तरह समझ गए होते
तो न दोस्त जुदा होते
बवंडर खड़े होते ....

बुधवार, 24 सितंबर 2008

दिल में तुम्ही बसे हो ......

ख्वाब इतने आए की दिल में न समां पाये
ख्वाबो की हसी दुनिया बसा ही न पाये
शांत सागर जिंदगी की हिलोरे ले रहा था
इतिहास को आँचल में ले हकीकत कह रहा था
वो हवा का झोंका ऐसा आया की सब कुछ ले उड़ गया
बेवफाई की नही फ़िर भी नाम बेवफा दे गया
कुछ भी सोचो कुछ भी समझो हकीक़त से तुम परे हो
हकीक़त यह है मेरे दोस्त दिल में तुम्ही बसे हो ।

रविवार, 21 सितंबर 2008

शमा के वजूद से ...


लाखो शमा जले और जले परवाने ,

इसी तरह शमा के वजूद से

वो ख़ुद मिट जाते है

भौरें भी गूंजते है, फूलो कि गंध पाने ,

आख़िर में फंस कर वो ख़ुद कैद हुए जाते है