गुरुवार, 28 अगस्त 2008

तेरी तलाश में .....

जमाने कि हसी वादियों मैं
खोता ही चला गया
ख्वाब जो थे बरसों से
देखता ही चला गया ...
लौट कर कभी न देखा
दूर से तुझे कभी न देखा
बस प्यार से ही तुझे
हर दम
देखता ही चला गया ...
आँखों में सपने
मन में उम्मीद
थामकर चलता ही रहा
इन पथरीली राहों
पर कुछ पाने कि चाहत में
आगे बढ़ता ही चला गया .....
सोच थी परिंदों कि तरह
लक्ष्य भी महान थे
जो न डिग सके
कभी इसी उम्मीद में
उन्मुक्त गगन
में उड़ता ही चला गया ....
उम्मीद कि वह किरण
जो दे रही थी रौशनी
रास्ता भी सिमटता गया
मंजिल कि तलाश में
सपनों के साथ ले मै
तेरी तलाश
मैं अपनी मंजिल को पा गया.....

सब कुछ बहा गया


बिहार में बाढ़ ,मचा गई कहर
लाखो की जिन्दगी में बरपा गई कहर
गाँव के गाँव पानी में बहते चले गए
नाते रिश्ते सभी इस धार में बहते चले गए
क्या दोष था उनका जो पानी में बह गए
परिजनों के सारे अरमां आंसुओं में बह गए हैं
बरसों की मेहनत से की कुछ पूँजी जमा
खून पसीने से सींच बच्चों को किया बड़ा
प्रकृति के इस कहर में सब कुछ जहर बन गया
बरसों से बना सपनों का महल
बाढ़ के कहर में सब कुछ बह गया
फोटो साभार :- बीबीसी एवं गूगल