मन मै तरंगे उठती है
कुछ कह नही पाता
कहाँ क्या लिखू
कुछ नज़र नही आता
फ़िर भी लिख रहा हूँ
शब्दमाला में गुथ रहा हूँ
आज कर रहा हूँ
शब्दों को समार्पित
प्रतिसाद मिलेगा
इस भाव से मै
कर रहा हूँ अर्पित
इसलिए मै बहुत कुछ लिख रहा हूँ
शब्दों की माला को मै गुथ रहा हूँ
2 टिप्पणियां:
मन मै तरंगे उठती है
कुछ कह नही पाता
कहाँ क्या लिखू
कुछ नज़र नही आता
फ़िर भी लिख रहा हूँ
शब्दमाला में गुथ रहा हूँ
bahut sunder
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