जहां कही देखो नजर आता आतंकवाद है
सदियों से हम झेल रहे इस के शिकार है
हमने भी महाशक्ति के सामने प्रस्ताब था रखा
उसने न दिया ध्यान आतंकियों के हाथ में
सदियों से हम झेल रहे इस के शिकार है
हमने भी महाशक्ति के सामने प्रस्ताब था रखा
उसने न दिया ध्यान आतंकियों के हाथ में
हथियार को रखा
इक दिन अचानक यू धमाका हुआ
महाशक्ति राष्ट भी थर्रा गया
दो बहु मंजिला भवन मिटटी में मिला
नेस्तनाबूद हो गया
अब अपनी गलती का भी एहसास हो गया
अब तो आतंक का चारो ओर हो गया प्रभाव है
अब जहा कही देखो नजर आता आतंकवाद है.....
आतंक की पराकाष्ठा स्वयं के लिए दुःख दाई हो गई
कल की छोटी सी भूल आज अभिशाप हो गई।
इस दर्द से करह रहा है आज हर देश
क्योंकि बारूद के ढेर पर है बैठा हर देश
फटाको की तरह फूटते बम ओर बारूद हैं
दिवाली भी अब सुरक्षा के साये में
तिरंगा अब भी सुरक्षा की करता गुहार है।
अब जहा कही देखो नजर आता आतंकवाद है.....
इक दिन अचानक यू धमाका हुआ
महाशक्ति राष्ट भी थर्रा गया
दो बहु मंजिला भवन मिटटी में मिला
नेस्तनाबूद हो गया
अब अपनी गलती का भी एहसास हो गया
अब तो आतंक का चारो ओर हो गया प्रभाव है
अब जहा कही देखो नजर आता आतंकवाद है.....
आतंक की पराकाष्ठा स्वयं के लिए दुःख दाई हो गई
कल की छोटी सी भूल आज अभिशाप हो गई।
इस दर्द से करह रहा है आज हर देश
क्योंकि बारूद के ढेर पर है बैठा हर देश
फटाको की तरह फूटते बम ओर बारूद हैं
दिवाली भी अब सुरक्षा के साये में
तिरंगा अब भी सुरक्षा की करता गुहार है।
अब जहा कही देखो नजर आता आतंकवाद है.....
अब राजनीति में आतंक भी मुद्दा बन रहा
कल तक था राम मन्दिर और परमाणु करार भी
आज कोई सुरक्षित नही है राजनीति की छांव में
सभी करते है राजनीति अपने बचाव में
नही किसी को मतलब अपने आवाम से
आतंकियों को पनाह मिल रही है कारागार में
सुरक्षा में मुस्तैद खड़े है सैनिक इनके बचाव में
कोर्ट में चल रही है पैरवी
किसी फैसले के इंतजार में
आतंकी कहर बरपाते जा रहे है
अपने अभियान में
धमाकों के नाम पर मरती आवाम हैं
नेता सुरक्षित और जनता बेहाल है
अब तो मर मर कर जी रहे हैं
क्योंकि हर जगह नज़र आता
आतंकवाद है.........