सोमवार, 25 जनवरी 2016

यहा दालानों में चलते हैं अस्पताल क्योंकि....

मध्यप्रदेश के ग्रामीण अंचलों में स्वास्थ्य सुविधाएं पूरी तरह से बदहाल हैं। कई जगह डॉक्टरों की कमी है, तो कहीं अस्पताल भवन ही नहीं हैं। जब अस्पतालों की स्वास्थ्य सुविधाओं का विदिशा जिले के गंजबासौदा ब्लॉक में जायजा लिया, तो स्थिति बहुत ही गंभीर नजर आई। विकासखंड में 28 उप स्वास्थ्य केन्द्र हैं, इनमें से सिर्फ 12 केन्द्रों के भवन बने हुए हैं। छह स्वास्थ्य केंद्र भवन डेड घोषित किए जा चुके हैं। 15 स्थानों पर स्वास्थ्य केन्द्र किराए के मकान या फिर ग्रामीणों के दालानों में चलते हैं। इसलिए स्वास्थ्य कार्यकर्ता भी नहीं जाते।
सड़क पर बसे गांवों को छोड़कर दूरदराज क्षेत्र और कच्चे मार्गों के किनारे स्थापित उप स्वास्थ्य केन्द्र में ताले पड़े रहते हैं। जो उप स्वास्थ्य केन्द्र सड़क किनारे गांव में बने हुए हैं, उनमें स्वास्थ्य कार्यकर्ता आते हैं लेकिन दूर दराज के गांवों में स्वास्थ्य कार्यकर्ता महीनों नहीं जाते। यहां तक कि इन गांवों में टीकाकरण तक नहीं हो रहा है। सिर्फ 9 केन्द्र ऐसे हैं जहां कामकाज ठीकठाक चल रहा है।
ये भवन पड़े हैं क्षतिग्रस्त
उप स्वास्थ्य केंद्र ककरावदा, सिरनोटा, ऊहर, पिपराहा, भिदवासन, हमीदपुर के भवन कंडम घोषित किए जा चुके हैं। इससे इन गांवों में स्वास्थ्य केंद्रों का कामकाज लोगों के घरों की दालान और सार्वजनिक भवनों के भरोसे किया जा रहा है। कई उप स्वास्थ्य केंद्र सिर्फ कर्मचारियों के भरोसे चल रहे हैं। डॉक्टरों के पद खाली पड़े हैं। केन्द्रों की मरम्मत के लिए हर साल दस हजार रुपए मिलते हैं, लेकिन डेढ़ दर्जन से ज्यादा उपस्वास्थ्य केंद्रों की मरम्मत नहीं की गई।
भवन बना फिर भी किराए के मकान में
ग्राम उदयपुर में उप स्वास्थ्य केन्द्र का नया भवन दो साल से तैयार है, लेकिन यहां अभी भी उपस्वास्थ्य केन्द्र किराए के मकान में चल रहा है। नए भवन में स्वास्थ्य केन्द्र स्थानांतरित नहीं किया जा रहा। जिस किराए के भवन में उपस्वास्थ्य केन्द्र चल रहा है, उसमें कर्मचारी को बैठने तक फर्नीचर नहीं है। नए भवन का स्वास्थ्य विभाग द्वारा तीन बार निरीक्षण भी किया जा चुका है। उसके बाद भी भवन हस्तांतरण का मामला अटका है।
नाम का सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र
त्योंदा तहसील मुख्यालय पर 30 बिस्तरों का सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र है, लेकिन केंद्र पर एक्स-रे, पैथालॉजी की सुविधा नहीं है। कभी मशीन खराब रहती है कभी मशीन चलाने वाला कर्मचारी नहीं रहता तो कभी सामग्री नहीं होती। इसी तरह ग्राम गमाखर का उप स्वास्थ्य केंद्र कई सालों से कंपाउंडर के भरोसे चल रहा है। वहां डॉक्टर का पद खाली पड़ा है।
नीम-हकीमों के भरोसे ग्रामीण
विकासखंड में ग्रामीण स्वास्थ्य सेवाएं भगवान भरोसे चल रही हैं। ग्रामीणों का उपचार नीम-हकीमों से कराना पड़ रहा है। उप स्वास्थ्य केन्द्रों पर आयुष और होम्योपैथिक डॉक्टरों की पद स्थापना भी की गई है, लेकिन वह भी उपचार नहीं दे रहे हैं। उपचार के अभाव में कई ग्रामीणों की हालत ऐसी हो जाती है कि उनका उपचार तहसील मुख्यालय पर भी संभव नहीं रहता।
जांच की जाएगी
डेड भवनों के स्थान पर नए भवन बनाने के प्रस्ताव भेजे जा चुके हैं। जहां तक ग्रामीण क्षेत्रों के स्वास्थ्य केंद्रों का प्रश्न है। उनकी सफाई पुताई के लिए राशि दी जाती है। यदि राशि का उपयोग नहीं किया गया तो उसकी जांच की जाएगी।
डॉ. धर्मेंद्र रघुवंशी, मेडिकल अधिकारी, सामुदायिक स्वास्थ्य केन्द्र
Oct 30, 2015. Bhaskar.com

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