बुधवार, 27 जनवरी 2016

सहायबा में 13 बच्चे कुपोषण के शिकार

विदेश मंत्री सुषमा स्वराज के संसदीय क्षेत्र विदिशा के गंजबासौदा ब्लॉक में सहरिया आदिवासियों के बच्चों में कुपोषण के मामले तेजी से बढ़ रहे हैं। प्रशासन के लाख दावों के बावजूद गंजबासौदा विकासखंड के आदिवासी बहुल्य क्षेत्रों में कुपोषण के मामले थमने का नाम नहीं ले रहे हैं। इलाके में संचालित आंगनबाड़ी केंद्रों पर न तो मीनू के अनुसार पोषण आहार दिया जा रहा है और न ही बच्चों को केंद्र से जोडऩे की सार्थक पहल की जा रही है। इसका सीधा असर बच्चों के स्वास्थ्य पर पड़ रहा है। महिला एवं बाल विकास विभाग द्वारा विकासखंड में हर महीने पोषण आहार और स्वास्थ्य पर लाखों रुपए खर्च करने के बाद भी कुपोषण कम नहीं होना विभाग की कार्यप्रणाली पर ही सवाल खड़ा करता है।

आंकड़ों ने चिंता बढ़ाई...
ग्राम सहायबा में तो बच्चों में कुपोषण और कम वजन के आंकड़े चौकाने वाले हैं। इसके बावजूद महिला एवं बाल विकास विभाग गंभीरता नहीं दिखा रहा है। यहां गंभीर कुपोषित बच्चों की संख्या सात है। वहीं, कम वजन वाले छह बच्चे हैं। यह तो एक वानगी है, क्षेत्र में एक भी ऐसा भी गांव नहीं है तो कुपोषित या कम वजन के बच्चे न हों। सहायबा आंगनबाड़ी केंद्र की कार्यकर्ता ने बताया कि हाल ही में इन बच्चों को वजन किया गया, तो सात गंभीर कुपोषित और छह कम वजन के बच्चे सामने आए हैं।

हर महीने बढ़ रहे कुपोषित
प्रसून एनजीओ की कार्यकर्ता मिथलेस सेन ने बताया कि यहां पिछले महीने कुपोषित बच्चों की संख्या तीन थी। समय पर बच्चों को पोषण आहार और विशेष देखभाल नहीं होने से संख्या बढक़र अब सात हो गई है।

एनआरसी में भी उपेक्षापूर्ण व्यवहार
नबल सहरिया की पत्नी ने बताया कि उनका बेटा करण 16 माह का है। वह दोनों आंखों से देख भी नहीं सकता। वह न तो खाना-पीना करता है और न ही सामान्य बच्चों की तरह उसका व्यवहार है। इनके अनुसार, इनके पास उपचार कराने के लिए पैसा नहीं है। दिनभर खेतों में काम करने परिवार का पेट भरते हैं। पहले एनआरसी केंद्र में भी बच्चे को भर्ती कराया था। यहां दो तीन दिन रखने के बाद डॉक्टर्स और नर्सों का व्यवहार उपेक्षा पूर्ण होने से बच्चे के घर लेकर आ गए हैं।

विशेष जांच शिविर लगाने की जरूरत
जानकारों का कहना है कि प्रशासन को आदिवासी अंचलों में लगातार बढ़ रहे कुपोषण के मामले को लेकर स्वास्थ्य और महिला बाल विकास विभाग की ओर से विशेष जांच शिविर लगाने की जरूरत है।

विकासखंड क्षेत्र में 25 गांव चिह्नित
2002 में कराए गए सर्वे के अनुसार विकासखंड क्षेत्र के 25 गांव कुपोषण के लिए चिन्हित किए गए हैं। इनमें से अधिकांश उदयपुर क्षेत्र के ही हैं। उसके बाद से ही विकासखंड में कुपोषण को रोकने के लिए कार्य प्रारंभ हुए। बावजूद कुपोषण के मामले लगातार समाने आ रहे हैं।
यह हैं गंभीर कुपोषित
नाम पिता का नाम वर्ग उम्र
धनराज सुक्का आदिवासी 10 माह
राजेश गोपाल आदिवासी 9 माह
करण नबल आदिवासी 16 माह
कुंअरसिंह गुड्डा हरिजन 21 माह
साधन प्रकाश आदिवासी 18 माह
रूपस मुकेश हरिजन 18 माह
सुमतारा अमरसिंह आदिवासी 12

कम वजन वाले बच्चों की स्थिति
नाम/पिता/वर्ग/उम्र
राधा/अमर सिंह/आदिवासी/34 माह
सोनिया/प्रकाश/आदिवासी/39 माह
लक्ष्मी/देशराज/हरिजन/1 साल
सौरभ/मेहरवान/लौधी/1 साल
बादल/दुरक/आदिवासी/15 माह
विकास/सौदान/आदिवासी/34 माह

''बाल विकास परियोजना अधिकारी की पोस्ट खाली है। कुपोषण चिन्हित गांवों का नए सिरे से सर्वे कराया जाएगा। पोषण आहार और आंगनबाड़ी की जांच कराएंगे। बच्चों को पोषण आहार सही ढंग से मिल रहा है या नहीं, कुपोषण की रोकथाम के लिए प्रयास किए जाएंगे।''
सीएम ठाकुर, एसडीएम गंजबासौदा


Oct 07, 2015 को भास्कर डॉट कॉम में प्रकाशित

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